क्या मुलायम सिंह यादव मजबूरी में नरम पड़े हैं?

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  • Gautam kushwaha - 7 years ago

    यदि दैनिक जागरण विस्वनियता पर खरा है तो, क्या उसे जन अधिकार मंच की बढ़ती हुई लोकप्रियता नही दिख रही है .
    उसको कवर करके समाज मे बताना? क्या यह पत्रकारिता जगत मे मे नही लिखा है कि स्वैच्छिक विचार करके किसी की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शायी जाय जिससे समाज को दबंगो/ गुण्डो की वेरचनात्मक गति को विराम मिल जाया.
    यदि यही पत्रकारिता है तो दैनिक जागरण के सरसंचालक जी से निवेदन है कि वो बंद करदे एेसी ढोल कल्पित कवरेज वाली विवेचनाये.
    जब बाबू कुशवाहा को फसाया गया तो सबसे पहले कवरेज करने पर यह समाचार पत्र था.
    मगर जब वो बेदाग निकले और जनसमर्थन साथ मे है तो यह समाचार पत्र नीमो निसान नही.
    लानत है एसे व्यंगात्म समाचार पत्र पर जो कुछ एक बहुचर्चित पार्टी को छोड़कर इसको कवर नही करती है .और कहती है कि हम पत्रकारिता जगत मे सर्वसरेष्ट है.

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